डिलिट होती रिश्तों की मिठास

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विजय शर्मा कांकरोली, राजसमंद । अभी मैसेज को देखकर और डिलीट करके रुका तो मोबाइल ने कहा कि बैटरी लो, फिर चार्ज पर लगाया और कुछ देर बाद देखता हूं, तो 967 अनरीड मैसेज। सारे मैसेज दीपावली की शुभकामनाओं के, इन सारे मैसेज में करीब वही चित्र, वही संदेश सारे कॉपी पेस्ट किए हुए। इसी तरह दीपावली की शुभकामनाओं को प्रेषित करने की औपचारिकताएं हम सभी पूरी कर लेते है। अब वह दौर तो नहीं रहा कि किसी के पते पर पोस्टकार्ड पर अपने हाथ से शुभकामना संदेश लिखकर भिजवाया जाए, जिसे पढक़र अपना प्रिय रिश्तेदार उस हाथों की लिखावट में अपने रिश्तेदार के प्रेम को महसूस कर सकें। अब तो निकटतम रिश्तेदार को भी हम एक कॉपी किया हुआ संदेश भेजकर रिश्तों की इतिश्री कर लेते हैं। मोबाइल के मैसेज की तरह हमारे रिश्ते भी क्षणिक होते जा रहे हैं। मोबाइल के इन अनगिनत कॉपी पेस्ट मैसेज से मेमोरी फुल होने पर मैसेज के साथ ही रिश्तों की मिठास भी कब डिलिट हो जाती है, यह हमें अहसास ही नहीं होता है।
मोबाइल के बाद पोस्टकार्ड व अन्य कार्ड के जरिए शुभकामना संदेश प्रेषित करने की परंपरा लगभग खत्म हो गई हैं। मुझे याद हैं तब मेरी बहिन और मेरे मित्र के दीवाली के संदेश पत्र पढक़र भावातिरेक में अक्सर आंखे गीली हो जाया करती थी। रिश्तों में वो अपनापन दूर रहकर भी महसूस किया जाता था। मैंने अपने प्रिय रिश्तेदारों के वो संदेश पत्र आज भी सहेज कर रखे है, जिन्हें पढकर रिश्तों का वह मीठा अहसास आज भी मिलता है। आज भी वो पुराने संदेश पत्र किसी संरक्षित पूंजी की तरह लगते हैं।
समय हमेशा प्रगतिशील है, समय के साथ हमें भी बदलना चाहिए। मगर क्या इस दौर में हम अपने भावनात्मक संबंधों में कुछ कमी नहीं महसूस कर रहे हैं? इस कृत्रिम युग में हमारे रिश्ते भी अब औपचारिक होते जा रहे हैं। दीवाली पर आजकल मिट्टी के दीए की जगह चाइना की रंग बिरंगी चमकीली लाइट ने ले ली है। चमकीली लाइट में चमकीले कपड़े पहनकर नकली हंसी हंसने से मोबाइल की सेल्फी तो बड़ी सुंदर आ जाती है, मगर वो सेल्फी उस अभाव पूर्ण बचपन में अपनों के साथ खिलखिलाती मुस्कान का वो अहसास नहीं दिला सकती है। पुराने घर पर बने मोहन थाल और हलवे का मजा अब नहीं रहा। आजकल त्योहार के मौके पर महंगी मिठाइयां जो बाहर की बनी हुई है, जिस पर शुद्धता की गारंटी का टैग लगा रहता हैं। ठीक इसी तरह रिश्तेदारों को भी हर मौके पर बोल बोलकर अपनेपन का प्रमाण देना पडता हैं और ये प्रमाण ही अक्सर मिठास में संदेह पैदा करते हैं। हम नए दौर की नवीनता को अपनाते हुए अपनी जड़ों को पहचानें और अपने रिश्तों को सिर्फ एक दिन ही नहीं, बल्कि वर्ष भर अहमियत दें।
सिरोही मिरर के पाठकों को सिर्फ दीपावली के दिन की शुभकामनाएं नहीं, जीवन के एक एक क्षण के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।

                                                                                                                                   

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