राजस्थान दिवस :राजतंत्र से जनतंत्र की यात्रा!

0
mirror news

 राजस्थान दिवस पर इतिहासकार डॉ उदय सिंह डिगार ने विशेष आलेख में राजस्थान के एकीकरण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ब्रिटिश संसद द्वारा पारित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के  तहत भारत के विभाजन के साथ 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। देश की आजादी के बाद देसी राज्यों के एकीकरण कर भारत में विलय करना एक चुनौती पूर्ण कार्य था । भारत के देसी राज्यो एवं रियासतों के शासको के अपूर्व त्याग एवं अद्भुत योगदान से  देसी राज्यो एवं रियासतों का भारत संघ में विलय संभव हो सका , जिसके लिए सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में देसी राज्यों का एकीकरण प्रारंभ हुआ ।एकीकरण की प्रक्रिया में राजस्थान का एकीकरण भी एक महत्वपूर्ण चुनौती का कार्य था। राजस्थान के एकीकरण के प्रथम चरण में 28 फरवरी 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर एवं करौली के शासको द्वारा नई दिल्ली में विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर उनके राज्यों के विलय से बने नवीन प्रदेश का नाम महाभारत युगीन क्षेत्र के नाम से मत्स्य संघ रखा गया।  एकीकरण के द्वितीय चरण में 25 मार्च 1948 को कोटा ,झालावाड़ ,डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ बूंदी, शाहपुरा ,टोंक आदि रियासतें शामिल हुई एवं दो  चीफशिप कुशलगढ़ एवं लावा को भी मिलाकर सयुक्त राजस्थान बना।इसी क्रम में 18 अप्रैल 1948 को उदयपुर रियासत भी संयुक्त राजस्थान में शामिल हुई,जिसमें महाराणा उदयपुर को राजप्रमुख एवं महाराजा कोटा को उप राजप्रमुख बनाया गया। एकीकरण के अगले चरण में 14 जनवरी 1950 ई को जोधपुर, जयपुर ,बीकानेर, जैसलमेर समेत राज्यो को मिलाकर वरहत राजस्थान राज्य का निर्माण हुआ।राजस्थान का विधिवत  नामकरण एवं गठन 30 मार्च 1949 को हुआ जिसके कारण 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाते हैं ।इस प्रकार बने राजस्थान में मत्स्य संघ का भी  विलय किया गया । 

ADVT

सिरोही के विलय का दिलचस्प इतिहास रहा।  05 जनवरी 1949 को सिरोही राज्य के विलय हो जानें के बाद, सरदार वल्लभभाई पटेल एवम रियासती मंत्रिमंडल के सचिव वीपी मेनन ने कूटनीतिपूर्वक सिरोही राज्य का 24 जनवरी  1950 में विभाजन कर उसका लगभग 304 वर्ग मील क्षेत्र जिसमें 89 ग्राम समेत जिसमें आबू पर्वत भी शामिल था, उस  भूभाग को गुजरात में मिला दिया गया एवं शेष भाग को सिरोही अर्थात राजस्थान में विलय किया गया।  राज्य के  इस विसंगतिपूर्ण विभाजन के कारण विवाद उत्पन्न हो गया एवं क्षेत्र में सिरोही राज्य के गुजरात में मिले गए आबू दिलवाडा क्षेत्र के इन 89 ग्रामों को पुन :राजस्थान में मिलाने को लेकर तीव्र एवं व्यापक जन आंदोलन हुए । विषम परिस्थितियों  और व्यापक जन आंदोलन के मध्य नजर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिरोही राज्य के गुजरात में मिलाए गए 89 ग्रामों को पुन : राजस्थान में मिलाए जाने संबंधी मामला राज्य पुनर्गठन आयोग को सौंप दिया । राज्य पुनर्गठन आयोग द्वारा सांस्कृतिक ,भौगोलिक, ऐतिहासिक ,सामाजिक एवं परंपरागत विविध संबंधता के आधार पर सिरोही राज्य की आबू देलवाड़ा क्षेत्र के गुजरात में मिलाए गए 89 ग्रामों के भूभाग को पुन: राजस्थान में विलय की सिफारिश की गई। इस आधार पर सिरोही राज्य के 89 ग्रामों समेत आबू को एक नवंबर 1956 को पुन:सिरोही (राजस्थान) में मिलाया गया ,साथ ही अजमेर के मेरवाड़ा क्षेत्र को भी राजस्थान में शामिल किया गया । इसी के साथ राजप्रमुख का पद समाप्त कर राजस्थान के प्रथम राज्यपाल गुरमुख सिंह निहाल को बनाया गया ।इस प्रकार राजस्थान के एकीकरण के विभिन्न चरणों में राजतंत्र से जनतंत्र की ऐतिहासिक यात्रा पूर्ण हुई । ।

डॉक्टर उदयसिंह डिंगार, इतिहासकार ,प्रांत उपाध्यक्ष इतिहास संकलन समिति, मरू प्रांत ।

Leave a Reply