जनजातीय गौरव दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

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जनजातीय गौरव दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

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सिरोही। केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, सिरोही के द्वारा राजकीय आई.टी.आई.महाविद्यालय मांडवा-सिरोही में संगोष्ठी व भाषण प्रतियोगिता के माध्यम से भगवान बिरसा मुंडा के जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

 ब्यूरो प्रभारी अधिकारी  फूलचंद गहलोत ने बताया कि जल, जंगल और जमीन को लेकर आदिवासियों का संघर्ष सदियों पुराना है। 19 वी सदी में जब भारत गुलामी का दंश झेल रहा था,उस दौरान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को संगठित कर सामाजिक एवं आर्थिक स्तर में सुधार लाने के प्रयास के साथ बेगारी प्रथा के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया। गहलोत ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने 15 नवंबर 2021 को बिरसा मुंडा की शौर्य गाथा का स्मरण कर इस दिन से पहली बार देश में बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। 

वरिष्ठ योग प्रशिक्षक भीक सिंह भाटी ने कहा कि बिरसा मुंडा को धरती आभा यानी धरती के पिता के साथ भगवान का दर्जा भी दिया गया। बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमीदारी और राजस्व व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ी। भाटी ने कहा कि भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग कर दिया।  प्राचार्य प्रवीण कुमारी ने कहा कि बिरसा मुंडा एक सामान्य गरीब परिवार में जन्म लेकर, अभाव के बीच रहकर भी किसी का भगवान हो जाना कोई सामान्य बात नहीं है। मात्र 25 वर्ष के जीवन काल में तमाम अभाव, मानसिक और शारीरिक यातनाओं के बीच अपने बचपन से लेकर भगवान बनने तक की इस यात्रा को बिरसा मुंडा ने पूरा किया। 19वीं सदी के उत्तरार्ध में उन्होंने आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नए सामाजिक युग का सूत्रपात किया तो साथ ही शौर्य की नई गाथा भी लिखी। कार्यक्रम में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया एवं विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान अनुदेशक जयंतीलाल सुथार,कपूरा राम, पहलाद, प्रकाश कुमार इत्यादि उपस्थित थे।

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