लाखों दीपों की रोशनी में डूबा वाराणसी, देव दीपावली पर काशी में आस्था और संस्कृति की अद्भुत झलक
कार्तिक पूर्णिमा की रात वाराणसी का काशी तटीय इलाका किसी स्वप्नलोक से कम नहीं लगता। गंगा के घाटों पर जलते लाखों दीप, मंदिरों से उठती घंटियों की गूंज, मंत्रोच्चार के साथ गूंजती ‘हर-हर महादेव’ की आवाज़ और आकाश में बिखरती आतिशबाजी—यही है देव दीपावली। यह पर्व न केवल भारत ही, बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों के लिए आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक अनुभूति का सबसे चमकदार अनुभव बन गया है
भव्यता, परंपरा और श्रद्धा का संगमदेव दीपावली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बेहद खास है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, जिस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया, उसी दिन देवताओं ने गंगा तट पर आकर दीप जलाए थे। तभी से इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है। हर साल दिवाली के लगभग 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यह उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान वाराणसी के दशाश्वमेध घाट, असी घाट, राज घाट, चेत सिंह घाट और पंचगंगा घाट लाखों दीयों से जगमगा उठते है। गंगा घाट पर दिव्यता और सांस्कृतिक रंग इसी पर्व पर होने वाली गंगा आरती का दृश्य अलौकिक होता है। दशाश्वमेध घाट पर सैकड़ों पुरोहित एक साथ दीप और अगरबत्तियां प्रज्ज्वलित कर गंगा को नमन करते हैं। अस्सी घाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, शास्त्रीय संगीत, लोकगीत और नृत्य होते हैं, जो भारतीय परंपराओं की झलक के साथ-साथ घाट किनारे उत्सव का अद्भुत वातावरण बनाते हैं। देव दीपावली पर खास आकर्षण सबसे खास अनुभव है नाव से घाटों का नज़ारा देखना। जैसे ही शाम ढलती है, नावों पर बैठकर देशी-विदेशी पर्यटक जब जलते दीयों से सजे घाटों की ओर देखते हैं, तो समूची काशी सुनहरे प्रकाश से नहाई नजर आती है। देव दीपावली पर गंगा में सजीव झांकियां, शोभायात्राएँ, पारंपरिक नृत्य और वीरता की गाथाएं प्रस्तुत होती हैं। रात को आतिशबाजी और रंग-बिरंगे लेजऱ शो भी इस पर्व की खूबसूरती बढ़ा देते हैं पर्यटकों के लिए यात्रा गाइड और सुझाव, इस पर्व के दौरान वाराणसी में लाखों पर्यटक पहुंचते हैं, अत: होटल अग्रिम बुक कराना जरूरी है। नाव की सवारी के लिए अधिकृत ऑपरेटरों से टिकट लें और भीड़ से सुरक्षित रहें। घाटों के पास स्ट्रीट फूड का आनंद लें—मलाईयो, जलेबी, बनारसी चाट का स्वाद चखें। बुजुर्ग और बच्चों के लिए तुलसी घाट या शांत घाट बेहतर विकल्प हैं आस्था, सौंदर्य और एकता की नगरी देव दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, सौंदर्य और भारतीय संस्कृति का संगम है। इस रात काशी न सिर्फ श्रद्धालुओं, बल्कि दुनिया के हर पर्यटक के हृदय में एक अविस्मरणीय छवि छोड़ जाती है। अगली बार जब भारत में त्योहारों की चमक की बात हो, तो वाराणसी की देव दीपावली का जिक्र जरूर आएगा—जहां हर दीपक एक नई आस जगाता है, और गंगा की लहरों पर बिखरती रौशनी मोक्ष और आनंद का रास्ता दिखाती है।