भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर इतिहासकार डॉ. उदयसिंह डिंगार ने किया नमन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और जल, जंगल, जमीन के अधिकारों के प्रतीक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर इतिहासकार डॉ. उदयसिंह डिंगार ने कहा कि बिरसा मुंडा ने देश को ब्रिटिश शासन की गुलामी से मुक्त करवाने में अमूल्य योगदान दिया। साथ ही उन्होंने मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मांतरण का पुरजोर विरोध कर हिंदू धर्म और आदिवासी संस्कृति की रक्षा की।डॉ. डिंगार ने अपने आलेख में बताया कि भगवान बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के रांची जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सुगना मुंडा और माता का नाम कर्मी मुंडा था। उन्होंने अंग्रेज सरकार द्वारा लगान और शोषण के खिलाफ जोरदार आंदोलन छेड़ा और जल, जंगल, जमीन पर आदिवासियों के जन्मसिद्ध अधिकारों की रक्षा की अलख जगाई।उन्होंने समाज में जागृति लाने के लिए नशा मुक्ति, स्वच्छ ग्राम अभियान और सामाजिक एकता का संदेश दिया। उनकी बढ़ती लोकप्रियता से भयभीत अंग्रेज सरकार ने उन्हें रांची की जेल में बंद कर दिया, जहां 9 जून 1900 को उनकी मृत्यु हो गई। मगर वे अमर हो गए और आज भी देशभर में धरती आबा के नाम से पूजे जाते हैं।भारत सरकार ने 10 नवंबर 2021 को भगवान बिरसा मुंडा की जन्मतिथि 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। डॉ. डिंगार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा न केवल स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत थे, बल्कि वह आदिवासी समाज के आत्मसम्मान और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के सच्चे प्रहरी थे। उनकी 150वीं जयंती पर राष्ट्र उन्हें कोटिश: नमन करता है।
